bajaar
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उन दिनों
जब जमीन से उठती सफेदी
कर देगी तर आसमान,
और ढँक जायेगा पीला सूरज
जमीन की उसी सफेदी से,
हम देखेंगे.
उन दिनों
जब घने लहरिया पेड़ों से
उड़ जाएँगी बौराई चिड़ियाँ
काटेंगी, चीरेंगी, बनायेंगी रास्ता
असमान मे छाई सफ़ेद धरती मे
हम देखंगे
उन दिनों
जब असमान से बरसता लोहा
पत्तों को कर देगा हरा
जमीन पे फूटेंगी गेंहू की कोपलें
बिरवे लेंगे मदमस्त अंगडाई
हम देखेंगे
उन दिनों
जब सारे बच्चे होने अपने पिताओं की गोद मे
माएं ओखली मे कूटेंगी बरसते लोहे की धार
पिसेगा पिसान और जलेंगे चूल्हे
हम देखेंगे
तब तक साथी, हम चलेंगे
चलते रहेंगे, करते रहेंगे तलाश
हमें पता है-जरूर मिलेंगे वो दिन
भले ही मिले वो उन दिनों
हम देखेंगे
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