Menu
blogid : 7760 postid : 25

आओ बारिश….आओ ना…

bajaar
bajaar
  • 15 Posts
  • 9 Comments

बारिश… आओ ना। देखो इतने मन से बिसमिल्‍ला बाबू मिश्रा मेल की मल्‍हार सुना रहे हैं। तीन ताल की थपकियां देकर तुम्‍हें रिझा रहे हैं और तुम हो कि… आंचल से गाल सहलाकर भाग जाती हो। कल रात तो तुम तीन चार बार आई लेकिन आकर चली क्‍यों गई। न दर ठंडा हुआ न दीवार। न मन भीगा न तन। अब बहुत हुआ, और न तरसाओ। आओ बारिश.. आओ ना, हमें गले लगाओ ना।

पता है बारिश, तुम्‍हारे पीछे क्‍या क्‍या हो रहा है। नहीं, तुम्‍हें कुछ भी नहीं पता। बडे तो हैं ही, बच्‍चे भी तरह तरह के टोटके कर रहे हैं। लोगों से गर्मी के मारे खाना नहीं खाया जा रहा है। बच्‍चे बीमार हो रहे हैं तो आमिर खान कह रहे हैं कि मां के दूध में जहर है। बारिश, तुम्‍हीं बताओ, हम सब क्‍या जहर पीकर बडे हुए हैं। पर तुम नहीं बताओगी बारिश। क्‍योंकि तुम आओगी ही नहीं तो बताओगी क्‍या। आमिर ने कह दिया और अब माएं दूध कैसे पिलाएं।

पता है, आमीन से अमन बना और अमन से राग यमन बना। पहले पता होता तो शायद पूरी दुनिया को और पास पडोसियों को भी ये राग सुना देता। मकान मालिक के बच्‍चों को भी। बारिश….वो बच्‍चे नहीं है, लडके हैं लेकिन सारे राग उनके सामने फेल हो जाते हैं। मालकौंस से लेकर खमाज तक सुना दिया, पर उन्‍हें शोर ही समझ में आता है। बारिश…अब तो तुम्‍हारे शोर की सख्‍त जरूरत है। चाहो तो उस्‍ताद बिस्मिल्‍लाह खान और उस्‍ताद विलायत खान की राग यमन पर जुगलबंदी सुन लो, पर अब आ भी जाओ।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply